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क्रिकेट को परंपरागत दायरों से बाहर निकल कर विश्व पटल पर आर्थिक तौर पर मजबूत खेल के तौर पर स्थापित करने वाले व्यक्तित्व का नाम जगमोहन ङालमिया था।कोलकता के व्यापारिक मारवाड़ी परिवार जन्म लेने वाले जगमोहन ङालमिया के लिए क्रिकेट ,व्यवसाय और पैसा एक समान महत्व रखता था।
स्कॉटिश चर्च कॉलेज के छात्र रहे जगमोहन ङालमिया के क्रिकेट कैरियर की शुरुआत विकेट कीपर के तौर पर कॉलेज और क्लब की ओर से खेलते हुए हुई।एक दोहरा शतक भी उनके किक्रेट के खिलाङी के तौर पर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही।
उन्होंने अपने पिता की कंपनी एम.एल ङालमिया एण्ड कंपनी से जुडे । 1963 में बिरला प्लैनेटेरियम का निर्माण उन्हीं की कंपनी ने करवाया था।
सन् 1979 में जगमोहन ङालमिया ने बीसीसीआई से जुडे और सन् 1983 में बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष बने।इसी वर्ष भारत ने किक्रेट विश्व कप जीता था।इसके बाद जगमोहन ङालमिया ने इन्द्रजीत सिंह बिंद्रा के साथ मिलकर दक्षिण अफ्रीका में होने वाले 1987 व 1996 विश्व कप के अधिकार प्राप्त कर लिये।
जगमोहन ङालमिया सन् 1990 में बीसीसीआई के सचिव बने इस के बाद सन् 1993-94 और सन् 1996-97 में भी दुबारा बीसीसीआई के सचिव निर्वाचित हुए।
सन् 1997 में जगमोहन ङालमिया आईसीसी के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
ङालमिया सन् 2001 से 2004 तक बीसीसीआई के अध्यक्ष रहे, 2013 में श्रीनिवासन को हटा कर उन्हें अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया।दस वर्षों के बाद जगमोहन ङालमिया एक बार फिर 2 मार्च 2015 को बीसीसीआई के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
बीसीसीआई और आईसीसी में किक्रेट को खेल के परम्परागत दायरे से निकाल कर आर्थिक रूप से मजबूत करने से लेकर खिलाडियों को सुविधाएं दिलाने के प्रयास करे।ङालमिया खेल जगत के एक कुशल प्रशासक के रूप में स्थापित हुए।यही वजह रही कि उन्हें सन् 2005 में “इंटरनेशनल जरनल आॅफ द हिस्ट्री ऑफ स्पोर्ट्स अचीवमेंट” से सम्मानित किया गया।
सन् 1996 में बीबीसी ने जगमोहन ङालमिया को विश्व के 6 टाॅप खेल अधिकारियों में से एक माना।
ङालमिया के कुशल प्रशासक होने की बानगी तब भी देखी गयी जब आस्टेलिया और वेस्टइंडीज ने आतंकवाद के ङर से श्रीलंका में खेलने से मना कर दिया था तब उनकी पहल पर भारत और पाकिस्तान ने श्रीलंका में मैच खेले।
सन् 1991 में भी दक्षिण अफ्रीका को लेकर भी भी ङालमिया आगे आये और दक्षिण अफ्रीका के बाॅयकाट को खत्म करने के लिए उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की किक्रेट टीम को भारत अंतरिम करा।
मीडिया जगत में जगमोहन ङालमिया को “मैकियावेली आॅफ इंडियन क्रिकेट” “राजनीति के मास्टर” व “मास्टर आॅफ कमबैकस” के नाम से भी याद किया जाता है।
आज जगमोहन ङालमिया हमारे बीच नहीं हैं परंतु वह एक कुशल ,प्रगतिशील प्रशासक के साथ साथ एक बेदाग व बेमिसाल व्यक्तित्व के रूप में हमेशा जीवित रहेंगे।भारतीय व विश्व किक्रेट में उनके योगदान को याद किये बिना किक्रेट जगत की गौरव गाथा हमेशा अधूरी रहेगी।
ङालमिया हमेशा खेल जगत के प्रशासको और खिलाडियों के लिए प्रेरणा के स्रोत रहेंगें ।
जगमोहन ङालमिया का निधन न केवल भारत बल्कि विश्व खेल जगत के लिए कभी न पूरी होने वाली नुकसान है।ङालमिया ने अपने कौशल मेहनत व मज़बूत इरादे के बल पर विश्व खेल जगत में अपनी पहचान बनायी और अपने फैसलों से बुलंद हौसलों व कुशल प्रशासक की जो मिसाल क़ायम की है उस तक पहुंचना अब शायद ही किसी के लिए मुमकिन हो पाये।
“हज़ारों बरस नरगिस अपनी बेनूरी पर रोती है
बङी मुश्किल से होता है चमन में कोई दीदावर पैदा”
मिर्ज़ा शकिर अली बेग
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